Saturday 2 May 2020

                                         गीता तेरा ज्ञान अर्मत 


                                     गीता का सत्य सार  

1 प्रशन :- गीता का ज्ञान कब तथा किसने ,किसको सुनाया किसने लिखा ? क्रप्या विस्तार में बताये |

उतर  :-   श्री मदभगवत गीता का ज्ञान श्री क्रष्ण जी के शरीर में प्रवेश करके काल भगवान ने ( जिस वेदो व गीता में " ब्रह्म " नाम से भी जाना जाता )   अर्जुन को सुनाया |जिस समय कोरव तथा पाण्डव अपनी सम्पति अर्ताथ दिल्ली के राज्य पर अपने अपने हक़ का दावा करके युद्ध करने के लिए तेयार हो गये थे दोनों की सेनाये आमने- सामने कुरुक्षेत्र के मैदान में खडी थी अर्जुन ने देखा की सामने वाली सेना भीष्म पितामह , गुरु द्रोनाचार्य ,रिश्तेदार , कौरवो के बच्चे , दामाद , बहनोई , ससुर आदी आदी लड़ने मरने के लिए खड़े है कौरव व् पाडव आपस में चचेरे भाई थे || अर्जुन में साधू भाव जाग्रत हो गया विचार किया की राज्य को प्राप्त करने के लिए हमे अपने दामादों बहनोइयो भीष्म पितामह तथा गुरुजनो को मारगे 



       तब क्या हुआ यह भी नही पता था की कितने दिन संसार में रहेगे?  इसलिए इस प्रकार से प्राप्त राज्य के सुख से अछा तो हम भिक्सा मागकर अपना निर्वाह कर लेगे परन्तु युद्ध नही करेगे यह विचार करके अर्जुन ने हाथ से धनुष बाण छोड़ दिया तथा रथ के पिछले भाग में बेठ गया | अर्जुन की एसी दशा देखकर श्री कृष्णा बोले: | में किसी कीमत पर भी युद्ध नही करूंगा ' अपने उदेश्शय तथा तथा जो विचार मन में उठ रहे थे उनसे भी अवगत कराया उसी समय श्री  कृष्ण बोले: देख ले सामने किस योधा से आपने लड़ना है अर्जुन ने उतर दिया की हे कृष्ण उसी समय क्रष्ण जी में काल भागवत प्रवेश कर गया जेसे प्रेत किसी अन्य के शरीर में प्रवेश करके बोलता है ऐसे काल ने    श्री कृष्ण के शरीर में प्रवेश करके बोलता है श्री मदभागवत गीता का ज्ञान युद्ध करने कि प्रेरणा करने के लिए तथा कलयुग में वेदों को जानने व्यक्ति नही रहेगे 



श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 8वें अवतार और हिन्दू धर्म के ईश्वर माने जाते हैं। कन्हैया, श्याम, गोपाल, केशव, द्वारकेश या द्वारकाधीश, वासुदेव आदि नामों से भी उनको जाना जाता हैं। कृष्ण निष्काम कर्मयोगी, एक आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्ज महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया है। कृष्ण के समकालीन महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित श्रीमद्भागवत और महाभारत में कृष्ण का चरित्र विस्तुत रूप से लिखा गया है। भगवद्गीता कृष्ण और अर्जुन का संवाद है जो ग्रंथ आज भी पूरे विश्व में लोकप्रिय है। इस कृति के लिए कृष्ण को जगतगुरु का सम्मान भी दिया जाता है। कृष्ण वसुदेव और देवकी की 8वीं संतान थे। मथुरा के कारावास में उनका जन्म हुआ था और गोकुल में उनका लालन पालन हुआ था। यशोदा और नन्द उनके पालक माता पिता थे। उनका बचपन गोकुल में व्यतित हुआ। बाल्य अवस्था में ही उन्होंने बड़े बड़े कार्य किये जो किसी सामान्य मनुष्य के लिए सम्भव नहीं थे। मथुरा में मामा कंस का वध किया। सौराष्ट्र में द्वारका नगरी की स्थापना की और वहां अपना राज्य बसाया। पांडवों की मदद की और विभिन्न आपत्तियों में उनकी रक्षा की। महाभारत के युद्ध में उन्होंने अर्जुन के सारथी की भूमिका निभाई और भगवद्गीता का ज्ञान दिया जो उनके जीवन की सर्वश्रेष्ठ रचना मानी जाती है। 124 वर्षों के जीवनकाल के बाद उन्होंने अपनी लीला समाप्त की। उनके अवतार समाप्ति के तुरंत बाद परीक्षित के राज्य का कालखंड आता है। राजा परीक्षित, जो अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र तथा अर्जुन के पौत्र थे, के समय से ही कलियुग का आरंभ माना जाता है।







Monday 24 February 2020

उनका जन्म एक साधारण मछुआरे के परिवार में हुआ था, पेपर बेंच कर पढ़ाई की, मेहनत करने से कभी नहीं डरे, ईमानदारी से कभी नहीं हटे, उनका घर समुद्र के करीब था और उनकी इच्छाएं आकाश से आगे थीं। वह अपने पूरे जीवन काल में खुद में समुद्र की गहराई समेटे रहे और आकाश से आगे के रहस्य जानने की अपनी इच्छा को भी पूरा किया। उनका जीवन खुद में ही एक पाठशाला है, जिसने भी उनका अनुकरण किया वह सफल हो गया। भारत के सुदूर दक्षिणी छोर से लेकर शानदार रायसीना हिल्स राष्ट्रपति भवन का सफर बेहद शान से तय किया। यहां हम बात कर रहे हैं पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में। इस वित्त और व्यापार के मंच पर उनके बारे में आज बात करना इसलिए जरूरी है क्योंकि उनका जीवन हमें ईमानदारी, संयम और परिश्रम सिखाता है जो कि इस क्षेत्र में कार्यरत या इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए बेहद जरूरी है। डॉ. कलाम के जीवन काल के इस सारांश को पढ़ते हुए इस बात को समझना चाहेंगे कि आखिर हम उनसे प्रेरणा लेकर कैसे एक सफल व्यक्ति बन सकते हैं।
प्रखर वैज्ञानिक
भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति, अवुल पकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम एक वैज्ञानिक थे जिन्होने 2002 से 2007 तक इस पद की शोभा बढ़ाई। उन्होने एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 4 दशकों तक विज्ञान के प्रशासक के रूप में काम किया।
हमारे 'मिसाइल मैन'
मिसाइल विकसित में उनके अपभूतपूर्व योगदान के कारण उन्हें ‘भारत का मिसाइल मैन' भी कहा जाता है। उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया, ‘भारत रत्न' उनमें से एक है।
शुरुआती जीवन
एपीजे अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर 1931- 27 जुलाई 2015) का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में तमिल मुस्लिम परिवार में हुआ। वे एक साधारण परिवार के निकल कर आए जहां उनके पिता एक नाव चलाते थे और माता गृहिणी थी। अपनी पिता की मदद करने के लिए वे स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद अखबार बांटते थे। उनकी खास बात थी उनकी सीखने की चाहत। वे रामनाथपुरम श्वार्टज मैट्रिक्यूलेशन स्कूल में थे और इसके बाद सैंट जोसेफ़ कॉलेज गए जहां वे फिजिक्स स्नातक हुये। 1955 में वे अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए मद्रास चले गए।
बुद्ध मुस्कुराए
एपीजे अब्दुल कलाम ने भारतीय सेना के लिए मिनी हैलिकॉप्टर तैयार किया। उनके कैरियर ने एक नई करवट ली जब एसएलवी-III प्रोजेक्ट के लिए उनका ट्रांसफर इसरो में हुआ। टीबीआरएल का प्रतिनिधित्व करते हुये, उन्होने स्माइलिंग बुद्धा का प्रतिनिधित्व किया जो कि पहला परमाणु परीक्षण था। 1980 में, उनके व्यापक रिसर्च और विकास कार्यों से उन्हें कई पुरस्कार और प्रशंसाएं प्राप्त हुई। जुलाई 1992 से वे प्रधानमंत्री के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार रहे। पोखरण-II परमाणु परीक्षण के दौरान तकनीक और राजनीति के क्षेत्र में उनकी भूमिका सराहनीय रही।
"अपनी पहली जीत के बाद आराम मत करो क्यों कि अगर आप दूसरी बार फ़ेल हो गए तो अधिकतर लोग कहेंगे कि आपकी पहली जीत केवल भाग्य से मिली थी"।
भारत के राष्ट्रपति
साल 2002 में एपीजे अब्दुल कलाम ने भारी मतों से राष्ट्रपति चुनाव जीता। राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक रहा। उन्हें भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का समर्थन मिला। उनके लिए यह एक आसान जीत थी और वे देश के 11वे राष्ट्रपति बने। उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न' से सम्मानित किया गया और इसे पाने वाले वे तीसरे व्यक्ति थे। राष्ट्रपति भवन में सीट पाने वाले वे पहले बैचलर और पहले वैज्ञानिक थे। लेकिन, 2012 में उन्होने फिर से राष्ट्रपति पद ग्रहण करने से मना कर दिया।
शिक्षा और छात्रों के प्रति लगाव
1999 में वैज्ञानिक सलाहकार पद से सेवानिवृत होने के बाद, उन्होने 100,000 छात्रों से संवाद करने को अपना लक्ष्य बनाया। उन्होने खास तौर पर हाई स्कूल के छात्रों से मुलाक़ात की। उनका उद्देश्य था इन बच्चों के मन में भारत के विकास की भावना को जगाना।
"उत्कृष्टता एक निरंतर प्रक्रिया है और संयोग नहीं है।"- अब्दुल कलाम
निधन
27 जुलाई 2015 को आईआईएम शिलोंग में वे एक व्याख्यान दे रहे थे वहां सायं 6:30 बजे गंभीर दिल का दौरा पड़ा, उन्हें गंभीर अवस्था में बेथाने हॉस्पिटल ले जाया गया जहां उनका निधन हो गया। डॉ. कलाम हमेशा कहा करते थे कि वह अपने जीवन के आखिरी क्षण भी छात्रों के बीच बिताना चाहते हैं और हुआ भी यही। वह छात्रों के बीच थे अपने विचार छात्रों के साथ साझा कर रहे थे और उसी दौरान उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए।
पुरस्कार
  • भारत सरकार द्वारा भारत रत्न पुरस्कार
  • भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण
  • भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण
  • डॉक्टर ऑफ साइंस एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी
  • राष्ट्रीय अंतरिक्ष सोसाइटी द्वारा वॉन ब्राउन
  • डॉक्टर ऑफ लॉज साइमन फ्रेजर यूनिवर्सिटी
  • आईईईई द्वारा मानद सदस्यता
  • हूवर मेडल एएसईई फाउंडेशन, यूएसए
  • डॉक्टर ऑफ इंजीनियरिंग नानयांग टेक्नोलोजिकल युनिवर्सिटी, सिंगापुर
  • यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉल्वरहैम्प्टन, यूके द्वारा डॉक्टरेट ऑफ साइंस
  • रॉयल सोसाइटी, यूके से किंग चार्ल्स द्वितीय मेडल
  • अलवर रिसर्च सेंटर, चेन्नई से रामानुजन पुरस्कार
  • भारत सरकार द्वारा वीर सावरकर पुरस्कार
  • भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय एकता के लिए इंदिरा गांधी पुरस्कार

English Summary

He was also hailed as the ‘Missile Man of India’ because of his tremendous effort in missile development. He was bestowed with many prestigious honours among which Bharat Ratna is also included.